मिथिला पंचांग के अनुसार उपनयन(जनेऊ) के मुहूर्त 2024 में

मिथिला पंचांग के अनुसार 2024 में उपनयन अथवा जेनेऊ के मुहूर्त के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी: Upnayan Muhurat 2024

आज के पोस्ट के माध्यम से आपको मिथिला पंचांग के अनुसार उपनयन के मुहूर्त 2024 में कब है इसके बारे मे जानकारी प्राप्त होने वाली है। मैथिली पञ्चाङ्ग का उपयोग मिथिलांचल के क्षेत्र मे अत्यधिक किया जाता है यह एक वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित और सटीक पंचांग है। मिथिला पंचांग का अन्य नाम मैथिली पंचांग/मैथिली पत्रा भी है। 


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हिन्दू धर्म के 16 निर्धारित संस्कारों मे से एक है उपनयन/जनेऊ संस्कार। सनातन धर्म मे उलेखित 10वां संस्कार जनेऊ होता है।

मिथिला पंचांगअथवा मैथिली पत्रा के अनुसार 2024 जेनेऊ के शुभ मुहूर्त 

मैथिली पंचांग  के अनुसार जनवरी 2024 मे उपनयन के दिन

जनवरी महीना में मात्र एक दिन शुभ मुहूर्त है उपनयन के लिए जो इस प्रकार से है-

       महीना----दिन  

  • 21 जनवरी----रविवार 


मैथिली पंचांग  के अनुसार फरवरी 2024 मे जनेऊ के दिन

फरवरी महीना में मात्र तीन दिन शुभ मुहूर्त है उपनयन के लिए जो इस प्रकार से है-

        महीना----दिन  

  • 19  फरवरी----सोमवार 
  • 20  फरवरी----मंगलवार
  • 21 फरवरी-----बुधवार


मैथिली पंचांग  के अनुसार मार्च 2024 मे जनेऊ के दिन

मार्च महीना में मात्र दो दिन शुभ मुहूर्त है उपनयन के लिए जो इस प्रकार से है

        महीना----दिन 

  • 20  मार्च----बुधवार 
  • 21 मार्च-----गुरुवार 


मैथिली पंचांग  के अनुसार अप्रैल 2024 मे जनेऊ के दिन

अप्रैल महीना में मात्र दो दिन शुभ मुहूर्त है उपनयन के लिए जो इस प्रकार से है

       महीना----दिन 

  • 18 अप्रैल----गुरुवार  
  • 19 अप्रैल---- शुक्रवार  


मैथिली पंचांग  के अनुसार मई और जून 2024 मे उपनयन के लिए शुभ दिन नहीं है। 


मैथिली पंचांग  के अनुसार जुलाई 2024 मे जनेऊ के दिन

जुलाई महीना में मात्र दो दिन शुभ मुहूर्त है उपनयन के लिए जो इस प्रकार से है

       महीना----दिन 

  • 08 जुलाई----सोमवार 
  • 10 जुलाई----बुधवार  

 

उपनयन संस्कार गायत्री मंत्र से शुरू करना  होता है और गायत्री मंत्र मे तीन चरण होते है जो इस प्रकार है :

  1. पहला चरण : ‘तत्सवितुर्वरेण्यं’
  2. दूसरा चरण : ‘भर्गोदेवस्य धीमहि’
  3. तीसरा चरण: 'धियो यो न: प्रचोदयात्’ 

उपनयन अथवा जनेऊ का  मंत्र:

यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्।

आयुधग्रं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।


जनेऊ के बारे मे अन्य रोचक जानकारी 

  • बहुत से लोग को पता नहीं होता है की उपनयन का अन्य नाम जनेऊ एवं यज्ञोपवीत संस्कार भी है, इसलिए वो असमंजस की स्थिति मे रहते है । 
  • जनेऊ 3 जीवा से मिल कर बना होता है और एक जीवा मे 3 तार (धागा) होते है इस तरह तारों की  कुल संख्या 9 होती है। 
  • जनेऊ मे 5 गाँठे (बंधन) होती है जो ब्रह्मा, मोक्ष, धर्म, काम, तथा अर्थ को दर्शाता है। 
  • जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल की होनी चाहिए क्युकी यह 64 कला और 32 विद्या को सीखने के लिए प्रेरित करता है। 


FAQs 

जनेऊ का क्या नियम है?

जनेऊ को मल-मूत्र त्याग करने से पहले दायाँ कान पर लपेट लेना चाहिए और हाथ और पाँव धोने के बाद ही कान के उपर से निकालना चाहिए। इससे जनेऊ पवित्र बना रहता है।

जनेऊ कब अपवित्र होता है?

घर मे जन्म और मरण , सूर्यग्रहण , चंद्रग्रहण के उपरांत जनेऊ अपवित्र हो जाता है । इसलिए इन घटना के सूतक काल के बाद ही जनऊ बदलना चाहिए। और अगर जनेऊ का धागा टूट जाता है तो भी यह अपवित्र माना जाता है।

जनेऊ किस दिन धारण करना चाहिए?

हिन्दू धर्म के शस्त्रों के अनुसार सावन के पूर्णिमा या रक्षा बंधन से पहले नया जनेऊ धारण करना चाहिए। क्यूंकी जनेऊ धारण के लिए ये दिन बहुत ही शुभ माना गया है।

जनेऊ शुद्ध करने का मंत्र?

जनेऊ अपवित्र हो जाने पर ये मंत्र “ एतावद्दिन पर्यन्तं ब्रह्म त्वं धारितं मया. जीर्णत्वात्वत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथा सुखम्” के पढने के बाद दूसरा जनेऊ धारण कर लेना चाहिए।