Maithili language: मैथिली भाषा की उत्पत्ति एवं परिचय

मैथिली भाषा का परिचय:

मैथिली भाषा बहुत ही मीठी भाषा है जो हमें उत्तर बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में तथा नेपाल के तराई क्षेत्र में सुनने को मिलता है। इस भाषा का इतिहास बहुत ही पुराना है , हालांकि इसका प्राचीन नाम "अवहट्ट"  तथा ‘मिथिला-अपभ्रंश’ था | माना जाता है कि मैथिली भाषा लगभग 1600 ईसवी पूर्व से विकसित होना शुरू हो चुका था। यह भाषा संस्कृत से विकसित हुई है इसलिए इसमें संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं का प्रभाव देखने को मिलता है ।


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मैथिली भाषा का नामकरण 

मध्यकालीन इतिहास में मैथिली शब्द का कोई चर्चा नहीं मिलता है, प्रख्यात कवि अमीर खुसरो द्वारा बंगाल से अलग कोई भाषा को मिथिला के भाषा तरफ संकेत किया गया है लेकिन इस भाषा के लिए मैथिली शब्द का प्रयोग नहीं किया गया था।

                                                         आधुनिक इतिहास में अंग्रेज के आगमन से भारत में नया परंपरा आया जिसमें भाषा लिपि एवं संस्कृति पर अनुसंधानित अध्ययन आरंभ किया गया। इसी क्रम में सर्वप्रथम भारतीय भाषा सर्वेक्षण  “अल्फाबेटिकम ब्राह्मण निकम”  नाम के दस्तावेज मैं ‘तुरुतिआना’  नाम से मैथिली भाषा का वर्णन मिलता है । ‘तुरुतिआना’ मैथिली इसलिए बोला गया क्योंकि इस काल में इस क्षेत्र का नाम ‘तिरहुत’ था।

                                        सन (1881 - 82 ई.) में  "सर जॉर्ज ग्रियसन"  ने इसको बिहार नाम के भाषा के अंतर्गत रखें था तथा 'मैथिली ग्रामर' के नाम से प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने कहा “ मैथिली एक भाषा है, कोई बोली नहीं है” । यहां आपको बता दूं की भाषा और बोली में अंतर होता है, भाषा- उसे कहते हैं जिसका ग्रामर , लिपि तथा साहित्यिक इतिहास हो, लेकिन बोली में यह चीज देखने को नहीं मिलता है इसका बस बोलने में प्रयोग किया जाता है।  इसका उदाहरण है भोजपुरी बोली,मगही बोली इत्यादि।


मैथिली भाषा के कुछ प्रमुख साहित्यकार हैं :

  • विद्यापति
  • कवि कोकिल
  • जयदेव मिश्र
  • धर्मवीर भारती
  • गजानन झा
  • राजकमल चौधरी
  • शंभूनाथ सिंह
  • मधुसूदन सिंह
  • गोविंद दास
  • सुरेंद्र झा
  • यात्री जी
  • चंदा झा
  • तंत्र नाथ झा

यह भाषा का प्राचीन साहित्य बहुत समृद्ध रहा है, इसलिए मैथिली भाषा साहित्य में बहुत सारे पद की रचनाएं मिलते हैं जैसे कि कविता नाटक कहानी और उपन्यास । एक भाषा  में रचित रचनाएं द्वारा ही उसका अस्तित्व बचा रहता है, इसलिए साहित्य के रचना करने वाले साहित्यकार को भुला नहीं जा सकता है । 


मैथिली में रचित कुछ महत्वपूर्ण रचना

  1. विद्यापति : गीत सती
  2. मनबोध : कृष्ण जन्म
  3. तंत्र नाथ झा : कीचक वध
  4. ज्योर्तििश्वर ठाकुर : वर्ण रत्नाकर 
  5. यात्री जी : चित्रा

इनके अलावा भी बहुत सारे रचनाएं हुए है मैथिली साहित्य में लेकिन ये कुछ महत्वपूर्ण रचना है ।


मैथिली भाषा की लिपि 

मैथिली भाषा की अपनी लिपि है जिसे "मिथिलाक्षर"  या "तिरहुता" लिपि कहते हैं , यह ब्राह्मणी लिपि से विकसित हुआ है। हालांकि, वर्तमान समय में मैथिली भाषा को पढ़ने एवं लिखने में देवनागरी लिपि का उपयोग किया जाता है । 


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मैथिली भाषा की आधिकारिक स्थिति 

92वें भारतीय संविधान संशोधन द्वारा 2003 ईस्वी में  संविधान के आठवीं अनुसूची में मैथिली भाषा और अन्य 4 भाषा को जोड़ा गया था । इसके अलावा मैथिली बिहार राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा भी है तथा नेपाल में भी एक आधिकारिक भाषा के रूप में मैथिली भाषा को मान्यता प्राप्त है। 


मैथिली भाषा की शब्दावली

मैथिली शब्दावली में तत्सम, तद्भव एवं मिथिला के देसी शब्द शामिल है| तत्सम शब्द सीधे संस्कृत से लिए गए हैं तथा तद्भव संस्कृत से मिलता-जुलता शब्द है और देसी शब्द मैथिली के अपने शब्द है । इसके अलावा हिंदी, बंगाली तथा नेपाली भाषा से भी कुछ शब्द लिए गए इसलिए जिन्हें भी इन तीन-चार भाषामें से कोई एक भाषा भी आता है उन्हें मैथिली बोलने,  समझने तथा सीखने में ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है। मैथिली भाषा में 48  ध्वनियाँ है, जिनमें 12 स्वर और 36 व्यंजन है तथा इसमें एक विशेष प्रकार का स्वर है जिसे "ऐं" कहा जाता है।  

        यहां आपको कुछ मैथिली लैंग्वेज के उदाहरण से आपको समझ आएगा की मैथिली भाषा दूसरे से कैसे अलग है : 

जैसे:-

Hindi :  आप क्या कर रहे हैं ?

Maithili : आहां की करैत अछी ?


निष्कर्ष 

मैथिली भाषाका अपना विशिष्ट साहित्य और संस्कृति है जो  कई दशक से विकसित होती आ रही है । आज के मॉडर्न युग में जहां लोग अंग्रेजी को विशेष महत्व दे रहे हैं, वहां हमें अपने इस मीठी भाषा मैथिली को भूलना  नहीं चाहिए और इस भाषा में आ रही चुनौतियों को दूर करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। आज मिथिला के लोग भारत के बाहर अमेरिका,  ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि देशों में रहते हुए भी मैथिली को भूले  नहीं है और वहां एक बड़ी संख्या में इस भाषा का प्रयोग कर रहे है। अतः हम सबको मैथिली भाषा को संरक्षित करने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए ।


FAQs 

भारत में कितने लोग मैथिली भाषा बोलते हैं ?

एक अनुमान के मुताबिक भारत में लगभग 5 करोड़ लोगो द्वारा मैथिली भाषा बोला जाता है, अगर नेपाल के आंकड़े जोड दिया जाए तो ये और भी अधिक होगा क्योंकि आपको पता होगा कि नेपाल में भी मैथिली भाषा का प्रयोग किया जाता है ।

मैथिली कैसे लिखी जाती है?

मैथिली लिखना बहुत आसान है इसके लिए बस आपको देवनागरी लिपि लिखना आना चाहिए। लेकिन अगर आप मैथिली की अपनी लिपि "तिरहुता लिपि" में लिखना चाहते है तो आपको यह लिपि सीखना होगा ।

मैथिली कौन सी जाति बोलती है?

मिथिला क्षेत्र के लगभग सभी जातियों द्वारा मैथिली भाषा बोला जाता है , इसलिए इस भाषा को किसी एक जाति के साथ जोड़ना गलत होगा ।

क्या मैथिली और नेपाली एक ही है?

मैथिली और नेपाली दो अलग अलग भाषा है। नेपाल में पहली राजभाषा नेपाली है और दूसरा मैथिली इससे साफ पता चलता है की दोनो भाषा अलग है ।