Mithila panchang(Maithili Panchang) 2024 || मिथिला पंचांग क्या है और इसका महत्व क्या है?
मिथिला पंचांग मिथिलांचल क्षेत्र का प्राचीनतम पंचांग/पत्रा में से का एक है। यह पंचांग मिथिला की संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न अंग है। मिथिला पंचांग का उपयोग मिथिला में हिंदू धर्म में विभिन्न महत्वपूर्ण तिथियों और मासों की गणना करने शुभ/अशुभ मुहूर्त निकालने और त्योहारों ,व्रतों एवं पूजा की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है। यह पंचांग/पत्रा में पूरी तरह से मैथिली भाषा का उपयोग किया जाता है, इसलिए इसे स्थानीय भाषा में मैथिली पंचांग या मैथिली पत्रा भी कहते हैं।
मिथिला पंचांग क्या है?
मिथिला पंचांग एक ज्योतिषीय पंचांग है जो सूर्य और चंद्र मासों के आधार पर बनाया जाता है। मिथिला पंचांग में एक वर्ष में 12 मास होते हैं और प्रत्येक मास में 30 दिन होते हैं। मिथिला पंचांग में तिथियों और मासों की गणना भारतीय ज्योतिष के आधार पर ही किया जाता है । मिथिला पंचांग में शुभ/अशुभ मुहूर्तों का निर्धारण ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर करते हैं। इस पंचांग में सभी त्योहारों और व्रतों की तिथियां, पूजा विधि और महत्व बताया गया है । इस पंचांग में 15 तिथियां होती हैं, जिनमें प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा शामिल हैं।
मिथिला पंचांग का इतिहास
मैथिली पंचांग का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि इस पत्र की उत्पत्ति महाभारत काल में हुई थी। महाभारत में उल्लेख मिलता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान मिथिला पंचांग का उपयोग किया था।इस पंचांग को मिथिला के विद्वानों द्वारा विकसित किया गया था , आधुनिक काल में ठाकुर प्रसाद का मासिक कैलेंडर इसका ही एक उदाहरण है। यह पंचांग बहुत ही सटीक और विश्वसनीय माना जाता है।
मिथिला पंचांग का उपयोग कैसे करें?
मिथिला में लोग अपने दैनिक जीवन में मैथिली पंचांग/ पत्र का उपयोग करते हैं। मिथिला पंचांग का उपयोग करना बहुत ही सरल है। मिथिला पंचांग में तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, ग्रहों की स्थिति गणना पहले ही की जा चुकी है। मिथिला पंचांग में सारे मुहूर्तों की सूची भी दी गई है। बस आपको मिथिला पंचांग में उस तिथि को देखना है जिसके बारे में आप जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। मैथिली पंचांग में आप अपने दैनिक राशिफलकी जानकारीभी प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि इसमें सभी 12 राशियों का दैनिक राशिफल दिया गया है। इसका उपयोग मिथिला क्षेत्र के अलावा भारत के अन्य हिस्सों और यहां तक कि विदेशों में रहने वाले मैथिली भाषा बोलने वाले के द्वारा भी किया जाता है।
दैनिक जीवन में मिथिला पंचांग का उपयोग
- तिथियों और मास मासों की गणना करने के लिए।
- शुभ/अशुभ मुहूर्तों का निकालने के लिए।
- पूजा,व्रत एवं त्योहारों का जानकारी प्राप्त करने के लिए।
- वैदिक ज्योतिष, वास्तु और अन्य ज्योतिषीय विद्या के लिए।
- चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण, अमावस्या, पूर्णिमा और दिशा-शूल इत्यादि की जानकारी प्राप्त करने के लिए ।
- शुभ मुहूर्तों में शादी, मुंडन, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों को करने के लिए।
👉मिथिला पंचांग जिसे मैथिली पत्रा भी बोला जाता है उसमें आप निम्नलिखित मुहूर्त की जानकारी नीचे दिए गए सूची पर क्लिक करके देख सकते हैं :
ऊपर दिए गए कुछ मुहूर्त का प्रयोग केवल मिथिलावासी द्वारा ही किया जाता है जैसे भादवा मशान्त के दिन आदि।
निष्कर्ष
अगर आप मिथिलावासी है तो मेरा राय है कि आपको मिथिला/ मैथिली पंचांग का अध्ययन और इसका उपयोग अपने दैनिक जीवन में अवश्य करें । यह एक वैज्ञानिक आधार पर बनाया गया पंचांग / पत्र है, इसमें मुहूर्त का निर्धारण बहुत ही सटीक तरीके से किया जाता है । इसलिए यह तिथि , मास एवं अन्य मुहूर्त का सही-सही जानकारी प्रदान करता है ।
मिथिला पंचांग क्या है?
मिथिला पंचांग मिथिला क्षेत्र का एक प्राचीन और वैज्ञानिक पंचांग है। यह पंचांग चंद्र और सौर मासों के आधार पर बनाया जाता है।
मिथिला पंचांग का इतिहास क्या है?
मिथिला पंचांग का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि इस पंचांग की उत्पत्ति महाभारत काल में हुई थी।
मैथिली पंचांग या मैथिली पत्रा का उपयोग कैसे करें?
मिथिला पंचांग का उपयोग करना बहुत ही आसान है। मिथिला पंचांग में सभी तिथियों और वारों की गणना पहले ही की जा चुकी है। आपको बस मिथिला पंचांग में उस तिथि को देखना है जिसके बारे में आप जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।
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